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Wednesday, June 9, 2010

फैसले से दुखी और चिंतित -मुख्यमंत्री

 भोपाल गैस त्रासदी: सी.जे.एम. फैसला
मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा है कि राज्य शासन ने भोपाल गैस त्रासदी से संबंधित सी.जे.एम., भोपाल के फैसले के विधिक परीक्षण के लिये विधिवेत्ताओं की पांच सदस्यीय समिति गठित की है। प्रदेश के पूर्व महाधिवक्ता और वर्तमान में भारत सरकार के अतिरिक्त सालिसिटर जनरल श्री विवेक तनखा, राज्य सरकार के वर्तमान महाधिवक्ता श्री आर.डी. जैन, वरिष्ठ अधिवक्ता-भोपाल 

श्री शांतिलाल लोढ़ा, पूर्व महाधिवक्ता श्री आनंद मोहन माथुर और प्रमुख सचिव विधि श्री ए.के. मिश्रा इस समिति के सदस्य होंगे। समिति को फैसले के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन कर अपील दायर करने के उद्देश्य से आगामी कार्रवाई संबंधी अपनी अंतरिम अनुशंसाएं दस दिवस में और अंतिम अनुशंसाएं एक माह में आवश्यक रूप से देने को कहा गया है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि भोपाल गैस त्रासदी के दांडिक मामले में सी.जे.एम. के फैसले से वे दुखी होने के साथ ही चिंतित भी है। उन्होंने कहा कि भोपाल गैस त्रासदी विश्व की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी साबित हुई। भोपाल त्रासदी से हजारों लोग कीड़ों-मकोड़ों की भांति मरे और हजारों प्रभावित लोग आज जीवित होने के बावजूद त्रासदी का दंश झेल रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या ऐसे प्रकरण में दो साल की सजा पर्याप्त है?

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि सी.जे.एम. कोर्ट के निराशाजनक फैसले के बाद विधिवेत्ताओं की राय के अनुसार भारतीय दण्ड विधान की धारा 71 में प्रत्येक मृत्यु के लिये धारा 304-ए का एक पृथक अपराध निर्मित होता है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक अपराध के लिये 2-2 साल के हिसाब से 100-50 साल की सजा इस मामले में दोषियों को मिल सकती है, जो आजीवन कारावास के सालों की गिनती से ज्यादा बड़ी सजा है।

श्री चौहान ने कहा कि भोपाल गैस त्रासदी के संबंध में हाल के न्यायिक फैसले के बाद कई सवाल उठ रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह बात स्पष्ट होनी चाहिये कि मुख्य आरोपी वारेन एन्डरसन के प्रत्यर्पण के संबंध में केंद्र सरकार एवं सी.बी.आई. द्वारा गंभीर कार्रवाई क्यों नहीं की गई। 

उन्होंने कहा कि सवाल यह भी है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने गैर इरादतन हत्या के आरोप को लापरवाही में तब्दील किया तो सी.बी.आई. ने उस फैसले के विरूद्ध पुनर्विचार याचिका दाखिल क्यों नहीं की। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि इन सवालों के प्रकाश में केंद्रीय कानून मंत्री श्री वीरप्पा मोईली जब हालिया फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया में “ न्याय के दफन होने की बात करते’’ तो वह ठीक प्रतीत नहीं होती।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि उनके विचार में दोषसिद्ध आरोपियों की कारावास की सजा बढ़ाने की अपील सी.बी.आई. को करना चाहिये। उन्होंने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 372 में संशोधन हो जाने के बाद दोष सिद्ध आरोपियों की सजा बढ़वाने की अपील करने का अधिकार पीड़ित पक्ष को भी है। 

उन्होंने कहा कि इस प्रकरण में पीड़ित पक्ष प्रदेश की निर्दोष जनता है जिसका प्रतिनिधित्व राज्य सरकार करती है। उन्होंने कहा कि दोषियों की सजा बढ़वाने के लिये पीड़ित पक्ष की हैसियत से अपील पेश करने या करवाने का फैसला भी समिति की अनुशंसाओं के बाद राज्य सरकार द्वारा लिया जायेगा।

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