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Monday, June 7, 2010

11.28 लाख से ज्यादा फर्जी राशनकार्ड खत्म

बोगस राशनकार्डों की पड़ताल का सिलसिला जारी
प्रदेश में बीपीएल और अन्त्योदय योजनाओं के असल हितग्राहियों की छानबीन के लिए चलाई गई खास मुहिम के बेहतर नतीजे आए हैं जबकि 11 लाख 28 हजार 238 फर्जी राशनकार्ड खत्म कर दिए गए हैं। अब इन दोनों ही श्रेणियों के राशनकार्डों की तादाद घटकर 57 लाख 37 हजार 920 हो गई है। बोगस राशनकार्डों की पड़ताल का सिलसिला हालांकि लगातार जारी रहेगा, अलबत्ता कोई पात्र हितग्राही छूट न जाए इसलिए उनके राशनकार्ड बनाए जाने का रास्ता भी खुला रखा गया है। 

उधर राज्य सरकार जो एपीएल की दर पर गेहूँ खरीद कर इन तबकों को रियायती तौर पर सब्सिडी के तहत उपलब्ध करा रही थी, उसका नुकसान भी कम हो जाएगा। सच्चाई यह भी है कि अब भी केन्द्र प्रदेश को इन उपभोक्ताओं के लिए 41 लाख राशनकार्डों के हिसाब से ही खाद्यान्न आवंटित कर रहा है।

प्रदेश में बोगस राशनकार्डों की तलाश और उन्हें खत्म करने का अभियान पिछले साल अक्टूबर से 31 दिसंबर तक चलाया गया था और यह इस सिलसिले में की जाने वाली कार्रवाई का पहला चरण था। अभियान के तहत बीपीएल और अन्त्योदय उपभोक्ताओं से घोषणा पत्र भरवाए गए थे। 

इस काम में सरकारी मशीनरी के साथ ही उचित मूल्य दुकानों को भी तैनात किया गया था। इसमें फोटोयुक्त घोषणा पत्रों के साथ विभिन्न जानकारियां चाही गई थीं। यह तय कर दिया था कि घोषणा पत्र भरे जाने और उसमें वांछित जानकारियां सही पायी जाने पर ही उपरोक्त उपभोक्ताओं को राशनकार्ड की पात्रता होगी।

अभियान के पहले प्रचलित राशनकार्डों की तादाद में बीपीएल के 52 लाख 83 हजार 323 और अन्त्योदय के 15 लाख 82 हजार 635 राशनकार्ड शामिल थे। अभियान के दौरान बीपीएल के 44 लाख 7 हजार 426 और अन्त्योदय के 13 लाख 30 हजार 494 उपभोक्ताओं ने घोषणा पत्र भरे। इसके चलते बीपीएल राशनकार्डों की तादाद में 8 लाख 75 हजार 897 और अन्त्योदय राशनकार्डों की तादाद में 2 लाख 52 हजार 341 समेत कुल 11 लाख 28 हजार 238 राशनकार्ड खत्म हो गए हैं।

राज्य सरकार इन दोनों योजनाओं के उपभोक्ताओं को 3 रुपये प्रतिकिलो की रियायती दर पर प्रति राशनकार्ड 30 से 35 किलोग्राम खाद्यान्न प्रतिमाह उपलब्ध कराती रही है। इस पर सरकार सालाना कोई 90 करोड़ रुपये खर्च कर यह खाद्यान्न एपीएल योजना के तहत 7 रुपये प्रतिकिलो की दर पर खरीद कर उपलब्ध कराती है। अब उसे 11 लाख 28 हजार 238 के लिए यह माली कवायद नहीं करनी होगी और इसके चलते उसका नुकसान कम हो जाएगा।

राज्य सरकार ने अब भी यह विकल्प खुला रखा है कि यदि कोई उपरोक्त योजनाओं का ऐसा उपभोक्ता जो घोषणा पत्र भरने से छूट गया हो और पात्रता के दायरे में आता हो तो उसे घोषणा पत्र भरने के बाद राशनकार्ड जारी किया जा सकेगा। 

इस बारे में साफ किया गया है कि सरकार पात्र हितग्राही को लाभ से वंचित नहीं रखेगी। गरीब तबकों के साथ ही विशेष पिछड़ी जनजातियों को भी रियायती खाद्यान्न की इस योजना में इस शर्त के साथ शामिल किया जा सकेगा।

दूसरी तरफ फर्जी राशनकार्ड वाले या उन्हें बनाकर देने वाले व्यक्ति उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई के दायरे में बने रहेंगे। इन हितग्राहियों की पड़ताल घर-घर जाकर सर्वे में जारी रहेगी। ऐसे कुछ मामलों में एफआईआर दर्ज कराने की कार्रवाई की जा चुकी है।

राज्य सरकार एक जुलाई, 2010 से प्रदेश में फूड कूपन योजना शुरू करने जा रही है। इसे प्रारंभिक तौर पर 5 जिलों में शुरू किया जाएगा। इस प्रक्रिया के जरिए भी चूंकि पात्र हितग्राहियों को ही राशन मिलना है, लिहाजा दूसरे चरण की इस छानबीन में और राशनकार्ड कम होने की संभावना रहेगी।

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