वित्त एवं वाणिज्यिक कर मंत्री श्री राघवजी ने केन्द्र सरकार से आग्रह किया है कि न केवल पेट्रोलियम पदार्थ बल्कि अन्य ईधन भी वस्तु एवं सेवाकर के दायरे से बाहर होना चाहिए। छोटे निर्माताओं तथा व्यवसायों को केन्द्रीय वस्तु एवं सेवाकर (सीजीएसटी) के कर आधार से बाहर रखा जाना चाहिए। श्री राघवजी ने यह सुझाव आज यहां राज्यों के वित्त मंत्रियों की सशक्त समिति की बैठक में दिया।
श्री राघवजी ने कहा कि केन्द्र राज्यों पर व्यय के दायित्व डाल रहा है तथा उनके करों को उगाने के अधिकार सीमित करने की कोशिश कर रहा है। इस प्रकार के प्रयासों पर रोक लगानी चाहिए। विद्युत डयूटी, स्टाम्प डयूटी, मोटर व्हीकल टेक्स तथा आक्ट्राय की एवज में लगाया जाने वाला प्रवेश कर वस्तु एवं सेवाकर की परिधि से बाहर रहेगा। श्री राघवजी ने कहा कि क्रयकर को वस्तु एवं सेवाकर के अंतर्गत विलय नहीं किया जाना चाहिए। क्रयकर दर पर कोई विवेक संमत प्रतिबंध लगाया जा सकता है।वित्त मंत्रीने कहा कि वर्ष 2010-11 की क्षतिपूर्ति की गणना के लिये आनुपातिक हानि के स्थान पर वास्तविक हानि को लिया जाना चाहिए। 4 प्रतिशत से 5 प्रतिशत की कर दर में वृद्धि का समायोजन केन्द्रीय विक्रय कर के राजस्व में होने वाली हानि की गणना करते समय विचार में नहीं लिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि प्रशासन की सुविधा के नाम पर निर्धन वर्ग को प्रभावित करने वाली कर प्रणाली में परिवर्तन को उचित नहीं ठहराया जा सकता। कर की एक ही दर का केन्द्रीय सुझाव उचित नहीं है।
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