नल-जल योजनाओं के संधारण के लिये 20 करोड़ रुपये स्वीकृत
मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने ग्रीष्म ऋतु में पेयजल की पर्याप्त आपूर्ति को सुनिश्चित करने को कहा है। श्री चौहान आज मंत्रालय में “परख” कार्यक्रम के अन्तर्गत वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये कमिश्नरों और कलेक्टरों से मुखातिब थे।मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि ग्रीष्म ऋतु में पेयजल की आपूर्ति को सुचारू रखने के उद्देश्य से राज्य शासन ने मानदेय के आधार पर 1000 हेंडपंप मैकेनिकों की भर्ती का फैसला लिया है। इन मैकेनिकों को एक हेंडपंप के सुधार पर 50 रुपये का मानदेय दिया जा सकेगा। उन्होंने जिला स्तर पर कलेक्टर की अध्यक्षता में एक समिति गठित कर जरूरत के मुताबिक हेंडपंप मैकेनिकों को भर्ती करने की कार्रवाई तत्काल शुरू करने को कहा। उन्होंने कहा कि हेंडपंप मैकेनिक के अभाव में हेडपंपों की मरम्मत न होने को गंभीरता से लिया जायेगा।
श्री चौहान ने कहा कि बिजली के अभाव में नल-जल योजनाओं से पेयजल का प्रदाय प्रभावित नहीं होना चाहिये। उन्होंने कहा कि नल-जल योजनाओं के संधारण और सुचारू संचालन के लिये राज्य शासन ने हाल ही में बीस करोड़ रुपये की राशि पंचायत और नगरीय संस्थाओं को आवंटित की है। श्री चौहान ने जरूरत होने पर क्षेत्र विशेष में निजी बोरिंग को सार्वजनिक पेयजल आपूर्ति के लिये अधिग्रहीत करने का सुझाव भी दिया। उन्होंने कहा कि पेयजल संकट के हल के लिये पेयजल परिवहन की व्यवस्था में कोताही नहीं की जाये। परिवहन के लिये प्रस्तावानुसार राशि संबंधित जिले को तत्काल प्रदाय की जायेगी।
उन्होंने देवास नगर के पेयजल संकट को हल करने के लिये इन्दौर नगर निगम द्वारा नर्मदा के तृतीय चरण से पानी देने के लिये नगरीय प्रशासन विभाग से पहल करने को कहा।
कार्यक्रम में जानकारी दी गयी कि प्रदेश में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष पेयजल प्रदाय की स्थिति अपेक्षाकृत अच्छी है। वर्तमान में कुल 276 गांवों में परिवहन के जरिये पेयजल प्रदाय की स्थिति है। चार हजार सुधारयोग्य हेंडपंपों की मरम्मत का कार्य किया जा रहा है। कार्यक्रम में विशेष रूप से देवास, दतिया, सागर, राजगढ़, उज्जैन, भिण्ड, रीवा और टीकमगढ़ में पेयजल प्रदाय की वर्तमान और आसन्न स्थिति पर संबंधित कलेक्टर और कमिश्नर से जानकारी ली गयी।
कार्यक्रम में मुख्य सचिव श्री अवनि वैश्य ने आगामी एक माह के दौरान आसन्न पेयजल संकट वाले क्षेत्रों का आंकलन कर उनकी आपात कार्ययोजना अभी से बनाने के निर्देश कलेक्टरों को दिये।
श्री चौहान ने कहा कि बिजली के अभाव में नल-जल योजनाओं से पेयजल का प्रदाय प्रभावित नहीं होना चाहिये। उन्होंने कहा कि नल-जल योजनाओं के संधारण और सुचारू संचालन के लिये राज्य शासन ने हाल ही में बीस करोड़ रुपये की राशि पंचायत और नगरीय संस्थाओं को आवंटित की है। श्री चौहान ने जरूरत होने पर क्षेत्र विशेष में निजी बोरिंग को सार्वजनिक पेयजल आपूर्ति के लिये अधिग्रहीत करने का सुझाव भी दिया। उन्होंने कहा कि पेयजल संकट के हल के लिये पेयजल परिवहन की व्यवस्था में कोताही नहीं की जाये। परिवहन के लिये प्रस्तावानुसार राशि संबंधित जिले को तत्काल प्रदाय की जायेगी।
उन्होंने देवास नगर के पेयजल संकट को हल करने के लिये इन्दौर नगर निगम द्वारा नर्मदा के तृतीय चरण से पानी देने के लिये नगरीय प्रशासन विभाग से पहल करने को कहा।
कार्यक्रम में जानकारी दी गयी कि प्रदेश में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष पेयजल प्रदाय की स्थिति अपेक्षाकृत अच्छी है। वर्तमान में कुल 276 गांवों में परिवहन के जरिये पेयजल प्रदाय की स्थिति है। चार हजार सुधारयोग्य हेंडपंपों की मरम्मत का कार्य किया जा रहा है। कार्यक्रम में विशेष रूप से देवास, दतिया, सागर, राजगढ़, उज्जैन, भिण्ड, रीवा और टीकमगढ़ में पेयजल प्रदाय की वर्तमान और आसन्न स्थिति पर संबंधित कलेक्टर और कमिश्नर से जानकारी ली गयी।
कार्यक्रम में मुख्य सचिव श्री अवनि वैश्य ने आगामी एक माह के दौरान आसन्न पेयजल संकट वाले क्षेत्रों का आंकलन कर उनकी आपात कार्ययोजना अभी से बनाने के निर्देश कलेक्टरों को दिये।
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