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Friday, May 28, 2010

मीडिया और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच सतत संवाद जरूरी

 "संकटकाल में मीडिया से संबंध" विषय पर कार्यशाला
गृह मंत्री श्री उमाशंकर गुप्ता ने कहा है कि देश में कानून का प्रवर्तन करने वाली एजेंसियों तथा मीडियाकर्मियों के बीच सतत संवाद बहुत जरूरी है। संवाद की कमी के कारण अनेक ऐसी समस्यायें पैदा होती हैं जिन्हें आसानी से टाला जा सकता है।
श्री गुप्ता आज यहां पुलिस प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान में 'संकटकाल में मीडिया से संबंध' विषय पर आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ कर रहे थे।

कार्यशाला का आयोजन भारत सरकार के पुलिस विकास एवं अनुसंधान ब्यूरो और भारतीय जनसंचार संस्थान द्वारा मध्यप्रदेश पुलिस के सहयोग से किया गया है। कार्यशाला में 15 पुलिस अधीक्षक, 16 अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, पुलिस महानिरीक्षक, उप पुलिस महानिरीक्षक, वरिष्ठ पत्रकार और भारतीय जनसंचार संस्थान के विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं।

गृह मंत्री ने पिछले वर्ष नवम्बर में मुम्बई में हुये आतंकी हमले तथा आरूषि हत्याकांड को लेकर मीडिया की भूमिका पर हो रही देशव्यापी बहस का उल्लेख करते हुये कहा कि मीडिया हो या कोई और संस्थान अथवा व्यक्ति, सबके लिए राष्ट्रहित सर्वोपरि होना चाहिए। 

किसी को भी अपनी व्यक्तिगत ख्याति अथवा व्यक्तिगत हित के लिये कोई ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिससे समाज और राष्ट्र की सुरक्षा अथवा हित की हानि हो। उन्होंने कहा कि भारत में युगों युगों से यह संस्कार दिया गया कि परिवार के हित में व्यक्ति स्वयं का बलिदान करें, समाज के हित में परिवार का और राष्ट्र के हित में समाज का बलिदान करें।

गृह मंत्री ने कहा कि यह सही है कि आज मीडिया में बहुत कड़ी प्रतिस्पर्धा है और सबसे पहले खबर देने की बहुत तगड़ी होड़ रहती है। लेकिन इसमें यह देखा जाना चाहिए कि सत्य का बलिदान न हो। उन्होंने कहा कि आधारहीन खबरों से मीडिया की विश्वसनीयता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। देश के अधिकांश लोग मीडिया द्वारा दी जाने वाली खबरों पर विश्वास करते हैं। यदि निराधार खबरें लगातार जारी होती रहे तो यह विश्वसनीयता और कम हो जायेगी। उन्होंने पुलिसकर्मियों को इस कार्यशाला से अधिक से अधिक लाभ लेने का आव्हान किया।

भारतीय जनसंचार संस्थान से जुड़े भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के पूर्व महानिदेशक श्री गौतम कौल ने इस कार्यशाला की भूमिका पर प्रकाश डालते हुये कहा कि इसकी प्रेरणा आरूषि हत्याकांड और मुम्बई आतंकवादी हमले के बाद मीडिया की भूमिका से मिली। मुम्बई कांड की रिर्पोटिंग देश में ही नहीं पड़ोसी देश में भी देखी गई और वहां से आतंकवादियों को लगातार निर्देश प्राप्त होते रहे। 

इसी तरह आरूषि हत्याकांड में पुलिस अधिकारियों ने जिस तरह से मीडिया को संबोधित किया उसमें अनेक कमियां थी। इन कमियों को दूर करने के लिये ही इस तरह की कार्यशालाओं का देशभर में आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने भारतीय जनसंचार संस्थान में इस संबंध मे पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण तथा पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण में मीडिया से संबंध विषय को शामिल करने का सुझाव दिया।

पुलिस महानिदेशक श्री एस.के. राऊत ने कहा कि बाहरी और आंतरिक दोनों सुरक्षा सामान रूप से महत्वपूर्ण है, लेकिन आज आंतरिक सुरक्षा बहुत अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। इस संबंध में उन्होंने उत्तर-पूर्व छत्तीसगढ़ तथा अन्य स्थानों पर हो रही हिंसक आतंकवादी घटनाओं तथा अन्य प्रकार के आतंकवाद का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि चाहे पुलिस हो या मीडिया दोनों को अपनी-अपनी सीमाओं में रहकर अपने कर्तव्यों क निर्वाह करना चाहिए। आंतरिक सुरक्षा के संबंध में मीडिया की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। 

नक्सल समस्या का उल्लेख करते हुये उन्होंने कहा कि आज इस समस्या से निपटने में युद्ध जैसी स्थितियां पैदा हो गई हैं। युद्ध में कई बार कुछ ऐसी बाते भी हो जाती है जो नहीं होनी चाहिए। ऐसी स्थिति में मीडिया को व्यापक समाज और राष्ट्रहित में अपनी भूमिका का सजगता से निर्वाह करना चाहिए।

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (प्रशिक्षण) श्री रमेश शर्मा ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर भारतीय जनसंचार संस्थान के विशेषज्ञ श्री क्षितिज मोहन श्रीवास्तव, एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार श्री अरविंद उत्तम, पुलिस महानिरीक्षक (प्रशिक्षण) श्री ए.के. श्रीवास्तव तथा अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और विशेषज्ञ उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन जवाहरलाल नेहरू पुलिस अकादमी सागर के उप पुलिस महानिरीक्षक श्री के.एस. राठौर ने किया।

इस कार्यशाला में मैदानी पुलिस अधिकारियों को मीडिया और पुलिस, समाचार की अवधारणा, पत्रकार वार्ता और संकटकाल में प्रेस नोट तैयार करने में बरती जाने वाली सावधानियों के विषय में बताया जायेगा। कार्यशाला का समापन 26 मई को होगा।

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