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Wednesday, May 26, 2010

जनजातीय अंचलों में बनेंगे ऊर्जा संपन्न गांव

 कार्ययोजना तैयार
प्रदेश के जनजातीय अंचलों के तीन हजार गांवों को ऊर्जा संपन्न गांव बनाया जायेगा। जनजातीय बहुल गांवों में गैर पारंपररिक ऊर्जा स्त्रोतों को बढ़ावा देने के लिये कार्ययोजना बनाई गई है। गैर पारंपरिक ऊर्जा स़्त्रोतों के महत्व पर ग्राम सभा और ग्राम स्तरीय अन्य बैठकों में चर्चा का वातावरण निर्माण किया जायेगा।
धार, झाबुआ, बडवानी, आलीराजपुर, श्योपुर, मण्डला, डिण्डौरी, अनूपपुर और शहडोल जिलों के तीन हजार गांवों में मध्यप्रदेश ग्रामीण आजीविका परियोजना की पहल पर करीब ढाई हजार परिवारों ने बायो गैस संयंत्रों का उपयोग करना शुरू कर दिया है। दो साल पहले ये परिवार गांवाे से लगे लंगलों से ईंधन के लिये लकडी लाते थे और अपने मवेशियों को जंगल में चरने भेजते थे। बायो गैस संयंत्रों की स्थापना से अब यह प्रक्रिया थम गई है।

सहरिया बहुल जनसंख्या वाले श्योपुर जिले के कराहल और विजयपुर विकासखण्डों के 13 गांवों में सौर ऊर्जा संचालित स्ट्रीट लाइट से गांवों खुशहाली का वातावरण है। इन गांवों के करीब 1500 सहरिया परिवारों के आंगन में उजाला हो गया है। इन्हीं विकासखण्डों के 19 अतिरिक्त गांवों में जल्दी ही सौर ऊर्जा संचालित स्ट्रीट लाइट लगाई जायेगी। इससे करीब 2500 परिवारों को लाभ होगा। इसी प्रकार धार जिले में परियोजना गांवों के 4000 परिवारों में सीएफएल लाइट लग गई है।

परियोजना समन्वयक श्री एल एम बेलवाल ने बताया कि श्योपुर में ऊर्जा विकास निगम और धार में जिला प्रशासन के सहयोग से यह कार्य किया गया है। श्री बेलवाल ने बताया कि गरीब परिवारों को धुआं रहित चूल्हा बनाने के लिये प्रेरित किया जा रहा है। इसके लिये गांवों की महिलाओं को प्रशिक्षण भी दिया गया है। इससे न सिर्फ हानिकारक धुएं से छुटकारा मिलेगा बल्कि ईंधन की भी बचत होगी।

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