सिवनी जिले में छ: गाँव के बाशिंदे अब रहेंगे दुनिया के संपर्क में
अबकी बारिश सिवनी जिले के छ: गाँवों के लिए अभिशाप नहीं होगी। वह झूमकर बरसेगी। वे अब पूरा लुत्फ बारिश का उठाएंगे और जरूरत वक्त पर अपने गांव से बाहर की दुनिया के संपर्क में भी रह सकेंगे। ऐसा संभव हुआ मनरेगा योजना से सिर्फ एक स्टाप डेम कॉजवे बनने से।
वैश्वीकरण के इस युग में जहां दुनिया छोटे होती जा रही है, वहीं वर्ष में 3 से 4 महीने किसी से संपर्क नहीं हो पाना किसी अभिशाप से कम नहीं है। कुछ ऐसे ही अभिशाप से पीड़ित थे सिवनी जिले के 6 गाँवों पनवास, टिपरिया, आष्टा, अमूर्ला, इंदौरी एवं डौन्डीवाला के ग्रामीण्। हिर्री नदी पर बना स्टॉपडेम उनके लिए एक ऐसा हमदर्द साबित हुआ जिसने ग्रामीणों का दर्द दूर करते हुए, उन्हें विकास के करीब किया है।हिर्री नदी बरसात के दिनों में अपनी सीमाओं को तोड़ देती थी। ग्रामीणों के आवागमन में रोड़ा बन जाती थी। विकासखण्ड बरघाट के 6 गाँवों के ग्रामीण परिवार मुख्य धारा से कट जाते थे। आवागमन की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने के कारण बरसात के दिनों में ग्रामीण घरों में बैठे रहने को मजबूर थे। सभी गाँव विकासखंड से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर थे। इसलिए स्कूल, कॉलेज और अस्पताल तक पहुँच पाना भी ग्रामीणों के लिए संभव नहीं हो पाता था। इसका असर ग्रामीणों के व्यापार पर भी पड़ता था। उनकी आमदनी में भी कमी हो जाती थी।
ग्रामीणों को जब महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी स्कीम म.प्र. के तहत विकास के निर्णय का अवसर मिला तो उन्होंने कॉजवे कम स्टापडेम बनवाने की मांग की। योजना के तहत 36 लाख 60 हजार की लागत से बने कॉजवे से ग्रामीणों को दोहरा लाभ मिला। एक तो बरसात के दिनों में आवागमन की व्यवस्था हो गई। दूसरा कॉजवे कम स्टापडेम के निर्माण के दौरान 300 जॉबकार्डधारी परिवारों को रोजगार प्राप्त हुआ। ग्रामीणों को 16 हजार 441 मानव दिवस का रोजगार मिल गया।
ग्रामीणों के सच्चे हमदर्द कॉजवे कम स्टॉप डेम के निर्माण से ग्रामीणों को बारहमासी दुनिया से जुड़ने का मौका तो मिला ही है। मजदूरी से अतिरिक्त आमदनी भी प्राप्त हुई। स्वास्थ्य, शिक्षा और व्यापार की सुविधाओं तक ग्रामीणों की पहुँच भी बढ़ गई है।
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