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Thursday, April 15, 2010

नाभिकीय ऊर्जा के क्षेत्र में युवाओं के लिये रोजगार के समुचित अवसर

 परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम' विषयक कार्यशाला में अतिरिक्त सचिव द्वारा जानकारी
नाभिकीय ऊर्जा के क्षेत्र में युवाओं के लिये रोजगार पाने के काफी अच्छे अवसर हैं। जहाँ अन्य शासकीय कर्मचारियों से करीब 45 प्रतिशत अधिक वेतन एवं सुविधायें कार्यरत कर्मचारियों को प्राप्त होती है। यह बात परमाणु ऊर्जा विभाग भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव श्री ए.पी. जोशी ने आज यहाँ आर.सी.व्ही.पी. नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी में
दो दिवसीय 'नाभिकीय ऊर्जा का साम्राज्य' एवं 'परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम' विषयक कार्यशाला के शुभारंभ अवसर पर कही। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री राकेश साहनी, अध्यक्ष म.प्र. राज्य विद्युत मण्डल एवं पूर्व मुख्य सचिव ने की। कार्यशाला में प्रशासन अकादमी महानिदेशक डॉ. संदीप खन्ना के अलावा अखिल भारतीय सेवाओं के प्रशिक्षु अधिकारियों ने भाग लिया।

अतिरिक्त सचिव श्री जोशी ने कहा कि भारत में डॉ. होमी भाभा को परमाणु ऊर्जा का संस्थापक माना जाता है। यह विभाग भारत के लोगों की जिंदगी में सुधार लाने के लिये परमाणु ऊर्जा के उपयोग पर विशेष रूप से ध्यान दे रहा है। उन्होंने बताया कि देश का सबसे पहला परमाणु ऊर्जा रियेक्टर तारापुर में स्थापित किया गया। वर्तमान में भारत के 6 स्थानों पर 19 परमाणु ऊर्जा रियेक्टर कार्यरत हैं जिनसे 4560 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है, जो देश के विद्युत उत्पादन का मात्र तीन प्रतिशत है। परमाणु ऊर्जा विभाग ने वर्ष 2032 तक परमाणु ऊर्जा से विद्युत का उत्पादन देश में बढ़ाकर 9 से 10 प्रतिशत करने का कार्यक्रम बनाया है। श्री जोशी ने परमाणु ऊर्जा के उत्पादन में काम आने वाले यूरेनियम, थोरियम, हेवी वाटर प्लाण्ट, लाईट वाटर रियेक्टर आदि के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुये भारत में इनकी उपलब्धता के संबंध में बताया। उन्होंने कहा कि कोयला के घटते भण्डारों को दृष्टिगत रखते हुये विद्युत उत्पादन के अन्य स्त्रोतों पर ध्यान देनें की जरूरत है। उन्होंने बताया कि रेडियेशन से सुरक्षा की समुचित व्यवस्था न्यूक्लीयर प्लाण्ट में की जाती है। रेडियेशन सामान्य प्रक्रिया है जो प्रत्येक जगह मौजूद रहती है, परंतु इसकी निर्धारित सीमा का उल्लंघन नहीं होना चाहिये।

प्रारंभ में महानिदेशक डॉ. संदीप खन्ना ने कार्यक्रम के अतिथियों का स्वागत करते हुये उनका परिचय प्रदान किया और बताया कि इस दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन 12 एवं 13 अप्रैल को किया जा रहा है।

कार्यक्रम अध्यक्ष श्री राकेश साहनी ने अपने उद्बोधन में कहा कि विकासशील देशों के लिये परमाणु ऊर्जा विद्युत उत्पादन का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत है। घटते कोयला भण्डारों के बावजूद भी देश में नये थर्मल पावर प्लाण्ट स्थापित किये जा रहे हैं। देश में विद्युत उत्पादन को बढ़ाने के लिये नये 'परमाणु ऊर्जा प्लाण्ट' लगानें की पहल भी की जा रही है, इन प्लाण्टों की स्थापना के साथ-साथ इनकी सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने विद्युत उत्पादन बढ़ाने के लिये गैर पारम्परिक स्त्रोतों जैसे सोलर पावर, पवन ऊर्जा एवं बायोमास ऊर्जा पर भी ध्यान देने की आवश्यकता बतलाई।

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