देश में मध्यप्रदेश ऐसा राज्य है जहां बलात्कार पीड़ित महिला की शिकायत सुनते ही प्रकरण दर्ज कर लिए जाते हैं जबकि अन्य प्रदेशों में पीड़िता की मेडिकल जांच के उपरांत प्रकरण दर्ज किए जाते हैं। यह जानकारी आज यहां अध्यक्ष, राष्ट्रीय महिला आयोग, सुश्री गिरिजा व्यास की उपस्थिति में आयोजित बैठक में दी गई। 
सुश्री व्यास ने कहा बलात्कारियों पर शिकंजा कसने के लिए शीघ्र ही बिल लाया जा रहा है। इसमें बलात्कार से लेकर छेड़छाड़ तक के मामलों को शामिल किया जायेगा। महिलाओं के विरुद्ध अपराधों और अत्याचारों की समीक्षा के लिए आयोजित इस बैठक में प्रमुख सचिव, महिला एवं बाल विकास श्रीमती टीनू जोशी, आयुक्त अनुसूचित जाति कल्याण, श्रीमती सलीना सिंह, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक श्री वी.के. पवार, पुलिस महानिरीक्षक श्री एन.एल. डोंगरे सहित पुलिस, महिला बाल विकास एवं सामाजिक न्याय, विधि, अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण, महिला आयोग के अधिकारियों ने भाग लिया।
अध्यक्ष, राष्ट्रीय महिला आयोग सुश्री गिरिजा व्यास को बैठक में बताया गया कि मध्यप्रदेश में प्रकरण दर्ज होने के कारण सजा की दर भी अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर है। बलात्कार प्रकरणों की सुनवाई फास्ट ट्रेक कोर्टों में की जाकर त्वरित निराकरण के प्रयास किए जाते हैं। सुश्री गिरिजा व्यास ने बलात्कार, घरेलू हिंसा, देह व्यापार एवं ट्रेफिकिंग, मातृ मृत्यु दर पर प्रभावी अंकुश लगाने पर जोर देते हुए कहा कि इस क्षेत्र में केन्द्र एवं राज्य सरकारों के समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है।
सुश्री व्यास ने कहा कि बलात्कार के मामलों में पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए वर्तमान अधिनियम में संशोधन किया जा रहा है। इसके लिए संसद में एक सेक्सुअल एसाल्ट बिल प्रस्तावित है, जिसमें बलात्कारी पर व्यापक शिकंजा कसेगा।
इस बिल के आ जाने के बाद पीड़िता के बयान कैमरे के समक्ष दर्ज किए जा सकेंगे जिससे बाद में किसी दबाव के चलते पीड़िता अपने बयान परिवर्तित नहीं कर सकेगी। सुश्री गिरिजा व्यास ने निर्देश दिए कि बलात्कार मामलों में गिरफ्तारी, चालान, सुनवाई, सजा त्वरित गति से हो। सुश्री व्यास ने कहा कि बलात्कार पीड़िता के पुनर्वास के साथ बलात्कारी की मानसिकता को सुधारने के भी प्रयास किए जाने चाहिए।
सुश्री गिरिजा व्यास ने कहा कि बलात्कारी घरेलू हिंसा आदि महिलाओं से संबंधित मामलों के नियंत्रण के लिए प्रत्येक थाने में महिला डेस्क की स्थापना की जाए। सुश्री व्यास को बताया गया कि प्रदेश के करीब-करीब हर जिले में महिला डेस्क की स्थापना की जा चुकी है।
घरेलू हिंसा प्रकरणों में सुश्री व्यास को जानकारी दी गई कि इसके लिए प्रदेश में उषा किरण योजना आरंभ कर नियंत्रण के कारगर प्रयास किए जा रहे हैं। इस योजना के तहत प्राप्त 2270 शिकायतों में से 1538 निराकरण के लिए मजिस्ट्रेटों को भेजी गई है। उषा किरण योजना के तहत 2009-10 में 250 लाख रुपये का बजट प्रावधान किया गया है। सुश्री व्यास ने बताया कि उनकी पहल पर घरेलू हिंसा अधिनियम पुन: लाया गया है और इसके तहत 143 प्रकरणों का निपटारा किया जा चुका है।
सुश्री व्यास को बैठक में जानकारी दी गई कि प्रदेश में परिवारों को टूटने से बचाने के लिए 212 परिवार परामर्श केन्द्र संचालित किए जा रहे हैं। गत वर्ष इन केन्द्रों में 30 हजार प्रकरणों की सुनवाई की गई और 60 प्रतिशत से अधिक परिवारों को टूटने से बचा लिया गया।
सुश्री व्यास ने कहा घरेलू हिंसा रोकने के लिए उच्च स्तर से निम्नतम स्तर तक प्रशिक्षण की आवश्यकता है। इसके लिए केन्द्र शासन ने 124 लाख रुपये की राशि जारी की है। सुश्री व्यास ने कहा घरेलू हिंसा, बलात्कार, देह व्यापार, ट्रेफिकिंग, मातृ मृत्यु की बहुसंख्या वाले क्षेत्रों को चिन्हित कर प्रभावी और सुनियोजित कार्रवाई करें।
बैठक में श्रीमती टीनू जोशी ने बताया कि हाल के वर्षों में मध्यप्रदेश में निम्नतम स्तर पर मातृ मृत्यु दर कम करने के प्रभावी प्रयास किए गए हैं। ए।एन।एम। की कम संख्या होने के बावजूद आंगनवाड़ी केन्द्रों के माध्यम से गर्भवती महिलाओं के पोषण, फोलिक एसिड आदि की भरपूर मात्रा उपलब्ध कराने के प्रयास जारी हैं। श्रीमती जोशी ने बताया कि मध्यप्रदेश ऐसा राज्य है जहां कृषि एवं निर्माण कार्यों में लगी महिला मजदूरों को प्रसूति के दौरान 45 दिन के पारिश्रमिक का प्रावधान है।
गत वर्ष ऐसी 50 हजार मजदूरों को लाभान्वित किया गया। सुश्री व्यास को बताया गया कि पिछले वर्षों में आरंभ की गई लाड़ली लक्ष्मी योजना, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना ने तो मध्यप्रदेश में सदियों पुरानी मानसिकता को बदलते हुए बालिकाओं और महिलाओं को सम्मान का जीवन दिया है। श्रीमती टीनू जोशी ने बताया कि मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत अब तक तीन लाख से अधिक गरीब कन्याओं के विवाह सम्पन्न कराये जा चुके हैं।
सुश्री व्यास ने कहा बलात्कारियों पर शिकंजा कसने के लिए शीघ्र ही बिल लाया जा रहा है। इसमें बलात्कार से लेकर छेड़छाड़ तक के मामलों को शामिल किया जायेगा। महिलाओं के विरुद्ध अपराधों और अत्याचारों की समीक्षा के लिए आयोजित इस बैठक में प्रमुख सचिव, महिला एवं बाल विकास श्रीमती टीनू जोशी, आयुक्त अनुसूचित जाति कल्याण, श्रीमती सलीना सिंह, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक श्री वी.के. पवार, पुलिस महानिरीक्षक श्री एन.एल. डोंगरे सहित पुलिस, महिला बाल विकास एवं सामाजिक न्याय, विधि, अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण, महिला आयोग के अधिकारियों ने भाग लिया।
अध्यक्ष, राष्ट्रीय महिला आयोग सुश्री गिरिजा व्यास को बैठक में बताया गया कि मध्यप्रदेश में प्रकरण दर्ज होने के कारण सजा की दर भी अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर है। बलात्कार प्रकरणों की सुनवाई फास्ट ट्रेक कोर्टों में की जाकर त्वरित निराकरण के प्रयास किए जाते हैं। सुश्री गिरिजा व्यास ने बलात्कार, घरेलू हिंसा, देह व्यापार एवं ट्रेफिकिंग, मातृ मृत्यु दर पर प्रभावी अंकुश लगाने पर जोर देते हुए कहा कि इस क्षेत्र में केन्द्र एवं राज्य सरकारों के समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है।
सुश्री व्यास ने कहा कि बलात्कार के मामलों में पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए वर्तमान अधिनियम में संशोधन किया जा रहा है। इसके लिए संसद में एक सेक्सुअल एसाल्ट बिल प्रस्तावित है, जिसमें बलात्कारी पर व्यापक शिकंजा कसेगा।
इस बिल के आ जाने के बाद पीड़िता के बयान कैमरे के समक्ष दर्ज किए जा सकेंगे जिससे बाद में किसी दबाव के चलते पीड़िता अपने बयान परिवर्तित नहीं कर सकेगी। सुश्री गिरिजा व्यास ने निर्देश दिए कि बलात्कार मामलों में गिरफ्तारी, चालान, सुनवाई, सजा त्वरित गति से हो। सुश्री व्यास ने कहा कि बलात्कार पीड़िता के पुनर्वास के साथ बलात्कारी की मानसिकता को सुधारने के भी प्रयास किए जाने चाहिए।
सुश्री गिरिजा व्यास ने कहा कि बलात्कारी घरेलू हिंसा आदि महिलाओं से संबंधित मामलों के नियंत्रण के लिए प्रत्येक थाने में महिला डेस्क की स्थापना की जाए। सुश्री व्यास को बताया गया कि प्रदेश के करीब-करीब हर जिले में महिला डेस्क की स्थापना की जा चुकी है।
घरेलू हिंसा प्रकरणों में सुश्री व्यास को जानकारी दी गई कि इसके लिए प्रदेश में उषा किरण योजना आरंभ कर नियंत्रण के कारगर प्रयास किए जा रहे हैं। इस योजना के तहत प्राप्त 2270 शिकायतों में से 1538 निराकरण के लिए मजिस्ट्रेटों को भेजी गई है। उषा किरण योजना के तहत 2009-10 में 250 लाख रुपये का बजट प्रावधान किया गया है। सुश्री व्यास ने बताया कि उनकी पहल पर घरेलू हिंसा अधिनियम पुन: लाया गया है और इसके तहत 143 प्रकरणों का निपटारा किया जा चुका है।
सुश्री व्यास को बैठक में जानकारी दी गई कि प्रदेश में परिवारों को टूटने से बचाने के लिए 212 परिवार परामर्श केन्द्र संचालित किए जा रहे हैं। गत वर्ष इन केन्द्रों में 30 हजार प्रकरणों की सुनवाई की गई और 60 प्रतिशत से अधिक परिवारों को टूटने से बचा लिया गया।
सुश्री व्यास ने कहा घरेलू हिंसा रोकने के लिए उच्च स्तर से निम्नतम स्तर तक प्रशिक्षण की आवश्यकता है। इसके लिए केन्द्र शासन ने 124 लाख रुपये की राशि जारी की है। सुश्री व्यास ने कहा घरेलू हिंसा, बलात्कार, देह व्यापार, ट्रेफिकिंग, मातृ मृत्यु की बहुसंख्या वाले क्षेत्रों को चिन्हित कर प्रभावी और सुनियोजित कार्रवाई करें।
बैठक में श्रीमती टीनू जोशी ने बताया कि हाल के वर्षों में मध्यप्रदेश में निम्नतम स्तर पर मातृ मृत्यु दर कम करने के प्रभावी प्रयास किए गए हैं। ए।एन।एम। की कम संख्या होने के बावजूद आंगनवाड़ी केन्द्रों के माध्यम से गर्भवती महिलाओं के पोषण, फोलिक एसिड आदि की भरपूर मात्रा उपलब्ध कराने के प्रयास जारी हैं। श्रीमती जोशी ने बताया कि मध्यप्रदेश ऐसा राज्य है जहां कृषि एवं निर्माण कार्यों में लगी महिला मजदूरों को प्रसूति के दौरान 45 दिन के पारिश्रमिक का प्रावधान है।
गत वर्ष ऐसी 50 हजार मजदूरों को लाभान्वित किया गया। सुश्री व्यास को बताया गया कि पिछले वर्षों में आरंभ की गई लाड़ली लक्ष्मी योजना, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना ने तो मध्यप्रदेश में सदियों पुरानी मानसिकता को बदलते हुए बालिकाओं और महिलाओं को सम्मान का जीवन दिया है। श्रीमती टीनू जोशी ने बताया कि मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत अब तक तीन लाख से अधिक गरीब कन्याओं के विवाह सम्पन्न कराये जा चुके हैं।
 
 

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