Bhopal:Tuesday, September 29, 2009:Updated 19:30IST
राज्य सरकार ने संविदा शिक्षक के रूप में कई गई सेवा अवधि को अध्यापक संवर्ग में पदोन्नति, क्रमोन्नति एवं वरिष्ठता के लिए गणना में मान्य करने का निर्णय लिया है। इसी तरह वर्ष 2001 एवं 2003 में भर्ती संविदा शिक्षकों को सहायक अध्यापक बनाए जाने हेतु बी.एड. को डी.एड. के समतुल्य मानते हुए उनका सहायक अध्यापक में संविलियन किया जायेगा। यह जानकारी स्कूल शिक्षा मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनीस ने आज उनसे मिलने आए अध्यापक संविदा शिक्षक संघ, मध्यप्रदेश के प्रतिनिधि मण्डल को दी।
श्रीमती अर्चना चिटनीस ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा लिए गये दोनों निर्णयों से 50 हजार शिक्षक लाभान्वित होंगे। संविदा शिक्षक की सेवा अवधि की गणना से लाभान्वित होने वाले सहायक अध्यापकों की संख्या 46 हजार होगी जबकि दूसरे निर्णय से 4 हजार शिक्षकों को लाभ मिलेगा। इन दोनों निर्णयों पर राज्य शासन द्वारा शीघ्र आदेश जारी किये जायेंगे।उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा शनिवार को एक बैठक में लिए गये निर्णयों से लगभग पौने दो लाख अध्यापक लाभान्वित होंगे।
श्रीमती अर्चना चिटनीस ने इस अवसर पर अध्यापकों, संविदा शाला शिक्षकों सहित अन्य सभी शिक्षकों से अपील की है कि वे अपने कार्य पूरी निष्ठा, ईमानदारी एवं मुस्तैदी से करें। उनकी मांगों के शेष बिंदुओं पर राज्य सरकार विचार कर रही है। अत: ऐसा कोई आंदोलन, आयोजन, सम्मेलन अथवा गतिविधि न करें, जिससे बच्चों की पढ़ाई में व्यवधान उत्पन्न हो तथा स्कूल प्रभावित हो।
श्रीमती अर्चना चिटनीस ने कहा कि शिक्षकों के संगठनों के प्रतिनिधिमंडल यदि अपनी कोई बात कहना चाहे तो वे समय लेकर मिले। शिक्षक कर्त्तव्यों और अधिकारों से विमुख न हो, अधिकारों के साथ कर्त्तव्यों का निर्वहन निष्ठा से कर वे समाज में बेहतर आदर्श प्रस्तुत करे। उनके द्वारा बरती गई अनुशासनहीनता और कर्त्तव्यों में लापरवाही को कठोरता से लिया जायेगा। श्रीमती अर्चना चिटनीस के अनुसार शिक्षकों का दायित्व है कि वे भावी पीढ़ी को तैयार करने के साथ ही शिक्षा की गुणवत्ता के स्तर को बनाए रखें। शिक्षक का स्थान कक्षा में है, न कि सड़कों पर।
श्रीमती अर्चना चिटनीस ने कहा कि शैक्षणिक कैलेण्डर के 4-5 माह बीत चुके हैं, समय आ गया है कि कार्यदिवसों में स्कूलों में अधिकाधिक पढ़ाई की ओर ध्यान दिया जाए। वे प्रदर्शन, सम्मेलन या अन्य कोई आयोजन न कर बच्चों के पठन-पाठन के प्रति अपने दायित्व का निर्वहन करें। क्योंकि ऐसी गतिविधियों से पढ़ाई का नुकसान होता है। ऐसी गतिविधियों में प्रदेश के शिक्षक एक स्थान पर एकत्रित होते हैं तथा आने-जाने में समय भी लगता है। ऐसी स्थिति में विद्यार्थियों का काफी नुकसान होता है।
उन्होंने शिक्षकों का आव्हान किया कि वे शिक्षक की गुणवत्ता नियमितता, अनुशासन को कायम रखकर समाज के सामने आदर्श प्रस्तुत करें। कार्यदिवसों में शिक्षक स्कूलों में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहे। इस मौके पर अध्यापक संविदा शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष श्री मनोहर दुबे, राज्य कर्मचारी संघ के प्रदेश मंत्री श्री जितेन्द्र सिंह, अध्यापक शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री श्री दिग्विजय सिंह चौहान, श्री सी.एल. सिंह बघेल आदि उपस्थित थे।
श्रीमती अर्चना चिटनीस ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा लिए गये दोनों निर्णयों से 50 हजार शिक्षक लाभान्वित होंगे। संविदा शिक्षक की सेवा अवधि की गणना से लाभान्वित होने वाले सहायक अध्यापकों की संख्या 46 हजार होगी जबकि दूसरे निर्णय से 4 हजार शिक्षकों को लाभ मिलेगा। इन दोनों निर्णयों पर राज्य शासन द्वारा शीघ्र आदेश जारी किये जायेंगे।उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा शनिवार को एक बैठक में लिए गये निर्णयों से लगभग पौने दो लाख अध्यापक लाभान्वित होंगे।
श्रीमती अर्चना चिटनीस ने इस अवसर पर अध्यापकों, संविदा शाला शिक्षकों सहित अन्य सभी शिक्षकों से अपील की है कि वे अपने कार्य पूरी निष्ठा, ईमानदारी एवं मुस्तैदी से करें। उनकी मांगों के शेष बिंदुओं पर राज्य सरकार विचार कर रही है। अत: ऐसा कोई आंदोलन, आयोजन, सम्मेलन अथवा गतिविधि न करें, जिससे बच्चों की पढ़ाई में व्यवधान उत्पन्न हो तथा स्कूल प्रभावित हो।
श्रीमती अर्चना चिटनीस ने कहा कि शिक्षकों के संगठनों के प्रतिनिधिमंडल यदि अपनी कोई बात कहना चाहे तो वे समय लेकर मिले। शिक्षक कर्त्तव्यों और अधिकारों से विमुख न हो, अधिकारों के साथ कर्त्तव्यों का निर्वहन निष्ठा से कर वे समाज में बेहतर आदर्श प्रस्तुत करे। उनके द्वारा बरती गई अनुशासनहीनता और कर्त्तव्यों में लापरवाही को कठोरता से लिया जायेगा। श्रीमती अर्चना चिटनीस के अनुसार शिक्षकों का दायित्व है कि वे भावी पीढ़ी को तैयार करने के साथ ही शिक्षा की गुणवत्ता के स्तर को बनाए रखें। शिक्षक का स्थान कक्षा में है, न कि सड़कों पर।
श्रीमती अर्चना चिटनीस ने कहा कि शैक्षणिक कैलेण्डर के 4-5 माह बीत चुके हैं, समय आ गया है कि कार्यदिवसों में स्कूलों में अधिकाधिक पढ़ाई की ओर ध्यान दिया जाए। वे प्रदर्शन, सम्मेलन या अन्य कोई आयोजन न कर बच्चों के पठन-पाठन के प्रति अपने दायित्व का निर्वहन करें। क्योंकि ऐसी गतिविधियों से पढ़ाई का नुकसान होता है। ऐसी गतिविधियों में प्रदेश के शिक्षक एक स्थान पर एकत्रित होते हैं तथा आने-जाने में समय भी लगता है। ऐसी स्थिति में विद्यार्थियों का काफी नुकसान होता है।
उन्होंने शिक्षकों का आव्हान किया कि वे शिक्षक की गुणवत्ता नियमितता, अनुशासन को कायम रखकर समाज के सामने आदर्श प्रस्तुत करें। कार्यदिवसों में शिक्षक स्कूलों में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहे। इस मौके पर अध्यापक संविदा शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष श्री मनोहर दुबे, राज्य कर्मचारी संघ के प्रदेश मंत्री श्री जितेन्द्र सिंह, अध्यापक शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री श्री दिग्विजय सिंह चौहान, श्री सी.एल. सिंह बघेल आदि उपस्थित थे।
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