Pages


Top Stories

Monday, November 9, 2009

वनवासियों को जमीन के प्रमाण पत्र 31 दिसम्बर तक-वन राज्यमंत्री

प्रदेश में तीन लाख 73 हजार से अधिक दावेदार
Bhopal:Sunday, November 8, 2009:Updated 16:51IST मध्यप्रदेश के वनों में रहनेवाले अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत निवासियों को जमीन के अधिकार के प्रमाण-पत्र दिए जाएंगे। पात्र वनवासियों को वन भूमि का व्यवस्थापन कर जमीन के हक के प्रमाण-पत्र वितरित करने के लिए 31 दिसम्बर, 2009 तक का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
न एवं राजस्व राज्यमंत्री, श्री जयसिंह मरावी ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि वन अधिनियम के तहत प्रदेश में तीन लाख 73 हजार से अधिक दावेदारों द्वारा दावे प्रस्तुत किए गए हैं। इनमें से तीन लाख 13 हजार प्रकरणों में जिला स्तरीय समितियों द्वारा निर्णय भी लिया जा चुका है और 87 हजार प्रकरणों में वन अधिकार मान्य किए जा चुके हैं।
श्री मरावी ने बताया कि वन विभाग द्वारा वनवासियों को वन अधिनियम के बारे में जानकारी देने के लिए स्थानीय बोली और संसाधनों का भी उपयोग किया जा रहा है। वनवासियों को 13 नुक्कड़ नाटक दलों द्वारा 900 नुक्कड़ नाटक आयोजित कर वन अधिनियम की सरल तरीके से जानकारी दी गई है।
इन दलों के माध्यम से वनवासियों को नि:शुल्क दावा प्रपत्र और अधिनियमों की प्रतियां भी उपलब्ध कराई गई हैं। आदिवासी बोलियों में पम्पलेट, पोस्टर छपवाकर वितरित किए गए हैं। वनों की बाहरी सीमा पर निवास करने वाले ऐसे परिवार जो आजीविका के लिए पूरी तरह वनों पर आश्रित हैं को भी उनका वास्तविक हक दिलाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश की छह करोड़ आबादी में से एक करोड़ 22 लाख से अधिक आबादी अनुसूचित जनजाति की है। यह प्रदेश की कुल जनसंख्या का 20.27 प्रतिशत है। इसी तरह देश की कुल आदिवासी जनसंख्या की 14 प्रतिशत जनसंख्या मध्यप्रदेश में निवास करती है। प्रदेश के 50 जिलों में से 21 जिले और 313 जनपदों में से 89 जनपद आदिवासी क्षेत्रों में हैं। बहुसंख्य आदिवासी वनान्चलों में निवास करते हैं।

0 comments:

Related Posts with Thumbnails
 
Blog template by mp-watch.blogspot.com : Header image by Admark Studio