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Wednesday, June 17, 2009

सरकारी-निजी मदद के बिना नहीं बन सकती खेती लाभ का सौदा...

किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया ने कहा है कि मध्यप्रदेश में कृषि को लाभ का धंधा बनाने के लिए शासकीय तंत्र के साथ-साथ निजी भागीदारी का योगदान भी जरूरी है। इन दोनों में बेहतर समन्वय के साथ ही इस उद्देश्य को प्राप्त किया जा सकता है।

डॉ. कुसमरिया सोमवार को मंत्रालय में 13 कृषि एजेंसियों के साथ हुए एमओयू के बाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। यह एमओयू एग्रीकल्चर टेक्नालॉजी मैनेजमेंट एजेंसी के तहत किए गए हैं। आज जिन एजेंसियों के साथ एमओयू हुए हैं उनमें एनआईसीटी, सतपुड़ा विज्ञान सभा, महात्मा गांधी प्रतिष्ठान, समर्पण, एक्सेस डेवलपमेंट, बैफ, सृजन, कार्ड, न्यूसिड, एमसीएम, प्राकृति भारती, केजे एज्यूकेशनल सोयायटी एवं मंथन एनजीओ शामिल हैं।
कुसमरिया ने कहा कि आज के समय में कृषि के क्षेत्र में नए-नए बदलाव आ रहे हैं। इनकी जानकारी किसानों तक पहुंचाया जाना बेहद जरूरी है। उन्होंने मध्यप्रदेश को जैविक प्रदेश बनाने के लिए निजी भागीदारी के साथ शामिल होकर एक निश्चित समय में कार्य किए जाने की जरूरत बताई। कुसमरिया ने कृषि कार्य से जुड़ी महिलाओं को भी शिक्षित किए जाने पर बल दिया।
प्रमुख सचिव कृषि प्रवेश शर्मा ने कहा कि प्रदेश में कृषि के क्षेत्र में प्रायवेट पार्टनरशिप के बहुत अच्छे परिणाम सामने आए हैं। इसी को देखते हुए कृषि विभाग ने 13 और नए करारनामे निजी भागीदारी में किए हैं। कृषि संचालक डीएन शर्मा ने बताया कि इन 19 कृषि एजेंसियों के माध्यम से 16 करोड़ 60 लाख रुपए के कृषि विस्तार सुधार कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया गया है।
अब निजी भागीदारी में प्रदेश के समस्त 313 विकासखण्ड कवर किए गए हैं। इस कार्ययोजना में 921 कृषि पाठशाला, 11 हजार 403 कृषि प्रदर्शन, 55 हजार 150 कृषकों के प्रशिक्षण एवं 32 हजार 510 कृषकों को कृषि अध्ययन भ्रमण कराए जाएंगे। कार्यक्रम में महिला चेतना मंच की प्रभारी और सेवानिवृत्त मुख्य सचिव निर्मला बुच ने कृषि में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी।
कॉल सेंटर में बैठ किसानों के फोन सुनेंगे कृषि मंत्री
कृषि मंत्री रामकृष्ण कुसमारिया अब महीने में एक बार कुछ घंटे किसान कॉल सेंटर में बिताएंगे। इस दौरान वे किसानों के सवाल और जिज्ञासाओं के जवाब देने के साथ ही उनकी शिकायतें भी सुनेंगे। ज्ञात रहे कि कृषि विभाग द्वारा भोपाल में निजी भागीदारी से शुरू किए गए किसान कॉल सेन्टर में प्रतिदिन 14 घंटे टोल फ्री फोन पर किसानों की समस्याओं के जवाब दिए जा रहे हैं।

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