वाणिज्य, उद्योग एवं रोजगार मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि विश्वविद्यालयों में भारतीय परम्पराओं के अनुरूप दीक्षांत समारोह आयोजित होना चाहिये। वे आज यहां देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। समारोह की मुख्य अतिथि शिक्षा मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनीस थीं।
सांसद श्रीमती सुमित्रा महाजन और महापौर डॉ. उमाशशि शर्मा विशिष्ट अतिथि थीं समारोह की अध्यक्षता कुलपति डॉ.अजीत सिंह सहरावत ने की। दीक्षांत समारोह में मेधावी विद्यार्थियों को 74 पदक तथा 20 उपाधियां प्रदान की गयीं। समारोह में राज्यपाल श्री रामेश्वर ठाकुर के शुभकामना संदेश का वाचन उनके अपर सचिव श्री जे.एन.मालपानी ने किया।
श्री विजयवर्गीय ने आगे कहा कि हमारे यहां गुरूकुल की परम्परा रही है, जो अपने गुरू और कुल का सम्मान बढ़ाने की शिक्षा देती है। वर्तमान में विदेशों में भारतीय योग और जैविक खेती लोकप्रिय हो रही है। ऐसी स्थिति में दीक्षांत समारोहों के आयोजन में भारतीय संस्कृति और परम्परा का ध्यान रखा जाये।
शिक्षा मंत्री श्रीमती चिटनीस ने अपने संबोधन में कहा कि पदक मिलना एक जिम्मेदारी है, इसका निर्वहन में समाज के लिये बहुत कुछ करना होगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में नेटवर्किंग हो ताकि ज्ञान और खोज की भागीदारी हो सके।
विश्वविद्यालयों को सुदूर ग्रामीण अंचलों तक पहुंच बनाना होगी। उन्होंने कहा कि भारत सबसे ज्यादा समृद्ध वैज्ञानिक देश रहा है, यह नयी पीढ़ी को बताना चाहिये। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार महात्मा गांधी की पुस्तक 'हिंद स्वराज' पर केन्द्रित विभिन्न प्रतियोगिताएं महाविद्यालयों में आयोजित करेगी।
सांसद श्रीमती महाजन ने कहा कि विद्यार्थियों को दीक्षांत समारोह की स्मृति लंबे समय तक रहती है। इस समारोह के बाद वे राष्ट्र और समाज के निर्माण में योगदान करें। महापौर डॉ. शर्मा ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त इस विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को भविष्य उज्जवल है। कार्यक्रम में विधायक श्री जीतू जिराती सहित जनप्रतिनिधि, विद्यार्थीगण तथा उनके अभिभावक मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री आर.डी.मूसलगांवकर ने किया।
सांसद श्रीमती सुमित्रा महाजन और महापौर डॉ. उमाशशि शर्मा विशिष्ट अतिथि थीं समारोह की अध्यक्षता कुलपति डॉ.अजीत सिंह सहरावत ने की। दीक्षांत समारोह में मेधावी विद्यार्थियों को 74 पदक तथा 20 उपाधियां प्रदान की गयीं। समारोह में राज्यपाल श्री रामेश्वर ठाकुर के शुभकामना संदेश का वाचन उनके अपर सचिव श्री जे.एन.मालपानी ने किया।
श्री विजयवर्गीय ने आगे कहा कि हमारे यहां गुरूकुल की परम्परा रही है, जो अपने गुरू और कुल का सम्मान बढ़ाने की शिक्षा देती है। वर्तमान में विदेशों में भारतीय योग और जैविक खेती लोकप्रिय हो रही है। ऐसी स्थिति में दीक्षांत समारोहों के आयोजन में भारतीय संस्कृति और परम्परा का ध्यान रखा जाये।
शिक्षा मंत्री श्रीमती चिटनीस ने अपने संबोधन में कहा कि पदक मिलना एक जिम्मेदारी है, इसका निर्वहन में समाज के लिये बहुत कुछ करना होगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में नेटवर्किंग हो ताकि ज्ञान और खोज की भागीदारी हो सके।
विश्वविद्यालयों को सुदूर ग्रामीण अंचलों तक पहुंच बनाना होगी। उन्होंने कहा कि भारत सबसे ज्यादा समृद्ध वैज्ञानिक देश रहा है, यह नयी पीढ़ी को बताना चाहिये। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार महात्मा गांधी की पुस्तक 'हिंद स्वराज' पर केन्द्रित विभिन्न प्रतियोगिताएं महाविद्यालयों में आयोजित करेगी।
सांसद श्रीमती महाजन ने कहा कि विद्यार्थियों को दीक्षांत समारोह की स्मृति लंबे समय तक रहती है। इस समारोह के बाद वे राष्ट्र और समाज के निर्माण में योगदान करें। महापौर डॉ. शर्मा ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त इस विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को भविष्य उज्जवल है। कार्यक्रम में विधायक श्री जीतू जिराती सहित जनप्रतिनिधि, विद्यार्थीगण तथा उनके अभिभावक मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री आर.डी.मूसलगांवकर ने किया।
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