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Tuesday, October 6, 2009

स्वर्णिम मध्यप्रदेश वर्ष 2013 तक

मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा है कि स्वर्णिम मध्यप्रदेश के संकल्प के प्रमुख लक्ष्यों को हर हाल में वर्ष 2013 तक पूरा करना है। 'मंथन-2009' से इस संकल्प की पूर्ति के लिये जो व्यावहारिक सुझाव प्राप्त होंगे उन्हीं के आधार पर प्रदेश का अगला बजट बनेगा। उन्होंने कहा कि 'मंथन-2009' का एक उद्देश्य एक 'टीम मध्यप्रदेश' भी बनाना है जो प्रदेश के विकास और लोगों की खुशहाली के दायित्वों की पूर्ति की वाहक होगी। श्री चौहान आज प्रशासन अकादेमी में दो दिवसीय 'मंथन-2009' कार्यशाला का शुभारंभ कर रहे थे।
कार्यशाला में मंत्रिपरिषद के सदस्यों सहित प्रमुख सचिव, सचिव, विभागाध्यक्ष, संभाग आयुक्त, जिला कलेक्टर, जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी और अन्य विकास और निर्माण विभागों के अधिकारियों सहित करीब 200 अधिकारी भाग ले रहे हैं।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि यह कार्यशाला स्वर्णिम मध्यप्रदेश के संकल्प की पूर्ति के लिये प्रदेश के तेज गति से विकास और आम आदमी तक शासकीय योजनाओं का लाभ बिना देरी के पहुंचाने के उद्देश्य से शासकीय तंत्र में जरूरी बदलाव और व्यवहारिक प्राथमिकताओं के निर्धारण के लिये आयोजित की गई है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि स्वर्णिम मध्यप्रदेश केवल नारा या सपना नहीं है। यह संकल्प है जिसे हर हाल में सन् 2013 तक पूरा करना है। उन्होंने कहा कि इस संकल्प की पूर्ति के लिये राज्य शासन ने सात सर्वोच्च प्राथमिकताएं निर्धारित कर उनकी पूर्ति के लिये विषय विशेषज्ञों के विशेष कार्यदल बनाये हैं। इन कार्यदलों के विचार-विमर्श और इस कार्यशाला के बाद प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर ही प्रदेश का वर्ष 2010-11 का बजट बनाया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वर्णिम मध्यप्रदेश के निर्माण के लिये निर्धारित सात प्राथमिकताओं पर व्यावहारिक अनुशंसाएं करने पर ही 'मंथन-2009' केन्द्रित किया गया है। उन्होंने कहा कि मंथन में शामिल मंत्रीगण और अधिकारियों को जमीनी हकीकत का अंदाजा है और वे उसी अनुरूप व्यावहारिक अनुशंसाएं करें, जो अगले एक ही साल में पूरी हो सकें।
श्री चौहान ने कहा कि चिंतन की आवश्यकता हमेशा रहती है। उद्देश्य यह है कि हम बेहतर से बेहतर सोचें। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विकास और आम आदमी की खुशहाली के कामों में अभी जो समस्याएं हैं उनका समाधान हमें ही खोजना है।
श्री चौहान ने कहा कि पिछले साढ़े पांच साल में प्रदेश में अधोसंरचना विकास के क्षेत्र में काफी काम हुआ है। सड़क निर्माण में लगभग क्रांति हुई। उन्होंने कहा कि अब ग्रामीण सड़कों पर ध्यान देना है। श्री चौहान ने कहा कि सन् 2013 तक भरपूर बिजली प्रदाय सुनिश्चित करना सरकार का लक्ष्य है। साथ ही बिजली की बचत के उपाय भी खोजना है। उन्होंने सिंचाई की स्थापित क्षमता का पूरा उपयोग करने के साथ ही प्रदेश में उपलब्ध पानी के उपयोग की नयी संभावनाओं की तलाश पर भी जोर दिया।
श्री चौहान ने मातृ-शिशु मृत्यु दर के वर्तमान प्रतिशत को प्रदेश के लिये अच्छा नहीं बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षा के स्तर में भी सुधार की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्राथमिक स्तर पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं दे पाने पर हम भावी पीढ़ियों के लिये अपराध करेंगे।
श्री चौहान ने कहा कि आपराधिक तत्वों की सही जगह जेल है। अपराधियों में सरकार का भय पैदा करना और आम आदमी को भयमुक्त करना हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने प्रदेश में सभी प्रकार के माफिया के खात्मे को कानून-व्यवस्था के लिये जरूरी बताया।
श्री चौहान ने कहा कि सुशासन सरकार की प्राथमिकता है। सुशासन के अनेक आयाम हैं। विकास के काम समय पर और गुणवत्तापूर्ण हो, प्रक्रियाओं का सरलीकरण हो और आम आदमी तक सरकारी योजनाओं का लाभ बिना देरी के पहुंचाना भी सुशासन है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि खेती को लाभदायी व्यवसाय बनाने के लिये और प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कृषि ऋणों की ब्याज दर में कमी किये बगैर और कृषि उत्पादों के समर्थन मूल्य पर बोनस दिये बगैर हमें कृषि को लाभदायी बनाने के प्रयास करने होंगे।
श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में विकास और लोगों की खुशहाली के लिये चिंतन प्रक्रिया दो स्तर पर जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि पहला स्तर मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित विभिन्न वर्गों की पंचायतें हैं, जो आगे भी जारी रहेंगी। दूसरा स्तर 'मंथन' जैसे प्रशासनिक विचार-विमर्श है, जो निरंतर रहेंगे।
प्रारंभ में मुख्य सचिव श्री राकेश साहनी ने 'मंथन-2009' के उद्देश्यों और रूपरेखा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मंथन में शामिल अधिकारी ऐसी अनुशंसाएं करें, जो व्यवहारिक हों, और जिनका लक्ष्य समग्र विकास और व्यापक जनहित हो। उन्होंने 'मंथन-2007' पर की गई कार्रवाई की भी जानकारी दी। श्री साहनी ने अपेक्षा की कि सरकार को नयी दिशा और नयी गति देने का यह प्रयास सफल होगा।
मंथन-2009 के औपचारिक शुभारंभ के बाद मुख्यमंत्री श्री चौहान विचार-विमर्श के लिये गठित सभी सात कार्य समूहों क्रमश: अधोसंरचना एवं विकास, निवेश वृद्धि, कृषि को लभदायी व्यवसाय बनाना, शिक्षा और स्वास्थ्य, महिला सशक्तीकरण, सुशासन एवं संसाधन विकास और सुरक्षा तथा कानून-व्यवस्था के कक्षों में भी गये।
श्री चौहान ने प्रत्येक समूह में किये जा रहे विचार-विमर्श को ध्यानपूर्वक सुना। इन सात समूहों में शामिल सभी अधिकारी अपने मैदानी अनुभवों और ज्ञान को एक दूसरे से साझा करते हुए प्रदेश के विकास और आम लोगों की तरक्की में आने वाले अवरोधों को दूर करने के उपायों पर विचार-विमर्श कर अगले एक साल में पूरी की जाने वाली व्यवहारिक अनुशंसाएं देंगे।
इन अनुशंसाओं के आधार पर विभिन्न नीति, नियम, प्रक्रिया में व्यावहारिक बदलाव लाने, कठिन नियम-कायदों को सरल बनाने और अन्य ऐसे नये कायदे-कानून बनाये जायेंगे जिनसे प्रदेश का विकास गतिमान हो और लोगों की कठिनाइयां दूर होकर वे खुशहाल बन सकें।
मुख्यमंत्री श्री चौहान के प्रशासन अकादेमी पहुंचने पर अकादेमी महानिदेशक डॉ. संदीप खन्ना ने पुष्प-गुच्छ भेंट कर स्वागत किया।

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