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Thursday, September 17, 2009

प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिये 3130 गांवों का चयन

प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिये किसान कल्याण विभाग द्वारा लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। किसानों को जैविक खेती के फायदे एवं उनकी विधियों को बताने के लिये प्रत्येक विकासखण्ड में आदर्श खेतों की पहचान की गई है। इन खेतों में कृषि विभाग की मदद से जैविक खेती के नये-नये कार्यक्रम हाथ में लिये गये हैं।
प्रदेश के प्रत्येक विकासखण्ड में 10 गांव के हिसाब से 3130 गांवों का चयन किया गया है। इन गांवों में पांच-पांच कृषकों का चयन कर आने वाले तीन वर्षों वर्ष 2011 तक प्रत्येक गांव में औसतन 75 कृषक जैविक खेती कार्यक्रम से जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
जैविक खेती के अंतर्गत किसानों के खेतों पर विभिन्न कार्यक्रम लिये जा रहे हैं। उनमें नाडेप कंपोस्ट, वर्मी कम्पोस्ट, बॉयोगैस निर्माण एवं खाद बनवाने को प्रोत्साहन, जैव उर्वरकों जैसे राइजोवियम, पी.एस.बी., नीली-हरी काई कल्चर के उपयोग को बढ़ावा देना, हरी खाद वितरण, फसल अवशेष प्रबंधन यांत्रिकीय उपकरण प्रदर्शन को बढ़ावा, जैविक कीटनाशी नीम, फोरोमेनट्रेप के उपयोग को प्रोत्साहन आदि शामिल हैं। जैविक आदानों को कृषकों को सुलभ कराने के लिये विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत किसान कल्याण विभाग द्वारा अनुदान भी उपलब्ध कराया जा रहा है।
प्रदेश में जैविक उत्पादों के प्रमाणीकरण हेतु मध्यप्रदेश राज्य जैविक प्रमाणीकरण संस्था की स्थापना की गई है, ताकि किसानों को जैविक उत्पादों के प्रमाणीकरण की सुविधा सरल एवं कम दर पर उपलब्ध हो सके।

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