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Thursday, December 11, 2008

केन्द्रीय विवि बनने से पहले ही भ्रष्टाचार के आरोपों का केन्द्र बना...

मप्र के सबसे पुराना विश्वविद्यालय डॉ० हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय वैसे तो केन्द्रीय विश्वविद्यालय बनने की राह पर हैं लेकिन यहां के मौजूदा हालात काफी खराब हैं। विश्वविद्यालय मे जबरदस्त भ्रष्टाचार व्याप्त होने की खबरें रहीं हैं। कक्षाओं मे प्रवेश से लेकर परीक्षाओं के पर्चे लीक होने मूल्यांकन पुनर्मूल्यांकन मे भी पैसे की दम पर हेर फेर किए जाने के आरोप लगाए जा रहे हैं।

हाल ही मे विश्वविद्यालय प्रशासन पर विवि के वनस्पिति विभाग द्वारा कुछ साल पहले खरीदी गई 7 लाख रूपए कीमत की एब्जार्वसन स्पेक्ट्रोमीटर मशीन के मामले मे कार्यपरिषद का निर्णय पर ही सवाल उठने लगे हैं।
यह मशीन खरीदे जाने के बाद सागर विश्वविद्यालय मे पहुंचने के पहले ही परिवहन के दौरान ही गायब हो जाने की वजह से पहली बार खबरों आईं। विवि प्रशासन ने मशीन के गुम होने की जांच के लिए एक समिति का गठन किया। लेकिन समिति के गठन के साथ ही आश्चर्य जनक ढंग से मशीन आगरा के रेलवे स्टेशन पर मिल गई।
यह मशीन विश्वविद्यालय आ गई लेकिन इसकी संस्थापना नहीं हुई। फिर भी कार्यपरिषद ने इस मशीन की राशि समायोजन के करने का निर्णय दे दिया। लेकिन समिति के निर्णय आपत्ति जताते हुए विवि के वित्त अधिकारी पीएन सिंह ने मशीन के सस्थापना किए बिना ही राशि के समायोजन के मामले मे वित्त विभाग से मार्गदर्शन मांगे जाने से कार्यपरिषद का निर्णय ही संदेह के घेरे मे आ गया है।

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