यह बात किसी से छुपी नहीं है कि ज्ञान बांटने से कम नहीं होता, बल्कि और बढ़ जाता है। मौजूदा स्थिति पर नजर डालें, तो आज ज्ञान बांटने वालों को न सिर्फ मान-सम्मान बल्कि दौलत और शोहरत भी खूब मिल रही है। एक टीचर के रूप में आज न सिर्फ देश में, बल्कि विदेश में भी करियर के शानदार अवसर उपलब्ध हैं।
वे दिन लद गए, जब टीचिंग महिलाओं के लिए पेटंट और पुरुषों के लिए आराम का काम माना जाता था। आज तो टीचिंग ऐसा राइज़िंग करियर ऑप्शन है, जिसके माध्यम से आप न सिर्फ नई पीढ़ी की नींव मजबूत करने में अहम भूमिका अदा करते हैं, बल्कि आर्थिक रूप से अपनी नींव भी मजबूत कर सकते हैं।
डॉ. टुटेजा के उदाहरण से ही पता चल जाता है कि विदेशों में भारतीय टीचर्स के लिए जॉब की संभावनाएं कितनी बढ़ गई हैं! मेडिकल, फैशन डिजाइनिंग और इंजीनियरिंग जैसे तकनीकी विषयों के अलावा आजकल हिंदी और संस्कृत जैसे भाषागत विषयों को पढ़ाने के लिए भी विदेशों में भारतीय शिक्षक काफी डिमांड में हैं।
Saturday, November 22, 2008
कैरियरा वॉच -पढ़ांए और कमांए.. भाग-1
विदेश में करियर
जबसे फॉरन यूनिवर्सिटीज़ में भारतीय शिक्षकों को रोजगार मिलने लगा है, तबसे टीचिंग का करियर और अधिक लाइमलाइट में आ गया है। वर्ष 2004 में भारत से मस्कट का रुख करने वाले दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक डॉ. गुरप्रीत सिंह टुटेजा बताते हैं कि वह मस्कट में पढ़ाने गए थे। उस दौरान उन्होंने वहां 50 हजार रुपये प्रतिमाह की सैलरी से शुरुआत की थी। जब वह दो सेमेस्टर पूरे करके भारत लौटने वाले थे, तब उन्हें एक लाख रुपये प्रतिमाह की जॉब का ऑफर मिल गया।
Labels: Guidance, मार्गदर्शन
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